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पितृ दोष को दूर करने के उपाय
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वैदिक ज्योतिष की धारणा के अनुसार यदि जातक ने अपने पिछले जन्मों में अपने बुजुर्गो या फिर माता-पिता की अवहेलना की हो तो फिर उसे अपने इस जीवन में पितृ दोष का सामना करना पड़ता है l पितृ दोष और पितृ ऋण लगभग एक ही है l
हमारी जन्म कुंडली में कुछ ग्रहों के योग के कारण पितृ दोष का निर्माण होता है जैसे किसी जातक की जन्म कुंडली के नवम भाव पर जब सूर्य और राहू की युति हो रही हो तो यह माना जाता है कि पितृ दोष योग बन रहा है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य तथा राहू जिस भी भाव में बैठते है, उस भाव के सभी फल नष्ट हो जाते है। व्यक्ति की कुण्डली में एक ऎसा दोष होता है जो इन सब दु:खों को एक साथ देने की क्षमता रखता है, इस दोष को पितृ दोष के नाम से जाना जाता है।
कुंडली में पितृ दोष होने पर जातक को संतान का सुख़ नहीं मिल पाता है, हमेशा घर परिवार मे धन की कमी बनी रहती है, घर में कोई न कोई सदस्य बीमारी का शिकार बना रहता है l
- शनिवार को भोर के समय कच्चा दूध व काले तिल पीतल के वृक्ष पर चढ़ाएँ
- अमावस्या के दिन किसी निर्धन को भोजन कराएं, खीर जरूर खिलाएं और मछलियों को आटा खिलाएँ l
- अगर कोई व्यक्ति पितृदोष से पीड़ित है और उसे अप्रत्याशित बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है तो उसे अपने पूर्वजों का श्राद्ध कर्म संपन्न करना चाहिए। वे भले ही अपने जीवन में कितना ही व्यस्त क्यों ना हो लेकिन उसे अश्विन कृष्ण अमावस्या को श्राद्ध अवश्य करना चाहिए।
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